प्रदूषण व मिलावटी खाना खाने से होता है ब्लड कैंसर : डाॅ. अनुपम चक्रपाणी

कोलकाता अपोलो हॉस्पिटल के हेमेटोलॉजिस्ट (रक्त रोग विशेषज्ञ) डॉ. अनुपम चक्रपाणी ने कहा कि खून में जहर भरने का काम प्रदूषण व मिलावटी खान-पान कर रहा है। वे रविवार को साकची स्थित एक होटल में आयोजित सेमिनार में बतौर गेस्ट स्पीकर बोल रहे थे। डॉ. अनुपम चक्रपाणी ने कहा कि देश में ब्लड कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं, जो चिंता का विषय है।

करीब 60 फीसदी मरीजों का इलाज दवा से संभव हो जाता है, लेकिन 40 फीसदी में बोनमैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। यह सुविधा पूर्वी भारत में नहीं होने से मरीजों को मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु सहित अन्य राज्यों में जाना पड़ता है। झारखंड व पश्चिम बंगाल के बहुत कम ही मरीजों का ही बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा मिल पाती है। यह काफी महंगी चिकित्सा है। इसलिए सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए। आयुष्मान भारत के तहत इसे भी शामिल किया जाना चाहिए। डॉ. चक्रपाणी ने कहा कि बोनमैरो चिकित्सा की जरूरत रक्त संबंधित बीमारियों में पड़ती है। भारत में प्रतिवर्ष करीब तीन हजार बोर्न मैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है। उन्होंने कहा कि ब्लड कैंसर तीन प्रकार का होता है। इसमें ल्यूकेमिया, लिंफोमा व मायलोमा शामिल हैं। यह बीमारी छोटे बच्चों से लेकर 75 साल के बुजुर्गों को भी हो सकती है। इससे बचाव के लिए नियमित समय पर स्वास्थ्य जांच, शारीरिक श्रम, पौष्टिक खान-पान अति आवश्यक है। ब्लड कैंसर का लक्षण बुखार आना, सोते समय पसीना आना, बेवजह थकावट होना, सीने में दर्द, पैरों की सूजन, शरीर में खून की कमी सहित अन्य शामिल है। मौके पर आइएमए के सचिव डॉ. मृत्युंजय सिंह, डॉ. निर्मल कुमार, डॉ. सुब्रो, कुंडू, डॉ. मतीन अहमद खान, डॉ. वाहिद खान, डॉ. एचएस पाल, डॉ. डीके सिन्हा, डॉ. राजीव शर्मा, धर्मेंद्र प्रसाद माैजूद थे।

डॉ. अनुमपम चक्रपाणी

क्या है ब्लड कैंसर

डॉ. अनुपम चक्रपाणी ने कहा कि हमारे शरीर में एक बैनमैरो होता है। इसमें सफेद सेल, जिसे डब्लूबीसी नाम से जाना जाता है। यह हमारे शरीर को कई हजारों बीमारियों से बचाता है। अगर ये धीरे-धीरे कम हो जाए या बढ़ जाए और उनकी जगह ब्लड कैंसर के कण बढ़ जाए तो इम्युनिटी सिस्टम जवाब दे जाती है, जोकि जानलेवा हो सकता है।